IGNOU MCO 01 Hindi Solved Assignment 2021-22

 

IGNOU MCO 01 Hindi Solved Assignment 2021-22

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MCO 01 Solved Assignment 2021-22 Hindi Medium

Title Name                                                          MCO 01 Hindi Solved Assignment 2021-22

Service Type                                                       Solved Assignment (Soft copy/PDF)

Course                                                                 Master’s of commerce

Language                                                             HINDI   MEDIUM

Course:                                                                MCOM

Session                                                                2021-22

Assignment Code                                              MCO 01 /TMA/2021-22

 

1. संगठनात्मक परिवर्तन क्या है ? संगठनात्मक परिवर्तन को प्रभावित करने वाली शक्तियों की विवेचना कीजिए। "जब संगठन में परिवर्तन लाया जाता है, तब सदस्य इसका प्रतिरोध कर सकते है।" इस कथन की विस्तृत विवेचना कीजिए।

संगठनात्मक परिवर्तन प्रबंधन (OCM) वह दृष्टिकोण है जो किसी कंपनी के प्रबंधक किसी व्यवसाय के भीतर प्रक्रियाओं को बदलने के लिए उपयोग करते हैं। ऐसा करने के लिए आम तौर पर पर्यवेक्षकों को नई अवधारणाओं के कार्यान्वयन की निगरानी और संचालन की आवश्यकता होती है, जबकि मौजूदा प्रक्रियाओं और किसी भी परिणामी सामाजिक या वर्कफ़्लो परिवर्तनों को संशोधित करना भी होता है। संगठनात्मक परिवर्तन के विशेषज्ञ आमतौर पर सुझाव देते हैं कि नई नीतियों, प्रक्रियाओं और प्रक्रियाओं को जोड़ते समय विशिष्ट कदम उठाए जाते हैं। जब कंपनी के मालिक और प्रबंधन इस तरह के बदलाव को ठीक से संभालते हैं, तो यह वास्तविक संशोधनों के लाभों को अधिकतम कर सकता है, और एक चिकनी संक्रमण के लिए अनुमति दे सकता है, क्योंकि लोग आमतौर पर कुछ हद तक परिवर्तन से डरते हैं।

सफल संगठनात्मक परिवर्तन प्रबंधन के लिए आमतौर पर यह आवश्यक होता है कि बदलाव में शामिल सभी लोग इस बात पर सहमत हों कि किस बदलाव की जरूरत है। एक बार जब यह सहमति बन जाती है - चाहे वह कंपनी की समग्र भविष्य की दृष्टि हो या परिवर्तन का मूल कारण - परिवर्तन को आगे बढ़ाने के लिए परियोजना आगे बढ़ सकती है। इस तरह की पारी के प्रबंधन में संचार एक अन्य महत्वपूर्ण कारक है। उदाहरण के लिए, ऊपरी स्तर के प्रबंधन को कंपनी के अन्य कर्मचारियों के लिए लागू किए जा रहे परिवर्तनों के लिए दृष्टि, कारण और उद्देश्य को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने में सक्षम होना चाहिए।

संगठन व्यवहार (Organizational behavior) संगठनों के अन्तर्गतमानवीय व्यवहारका अध्ययन है। सामान्य शब्दों में संगठनात्मक व्यवहार से तात्पर्य संगठन में कार्यरत व्यक्तियों के व्यवहार के अध्ययन से है। संगठनात्मक व्यवहार में अध्ययन किया जाता है कि व्यक्ति संगठन मेक्यातथाक्योकरते है तथा उनके व्यवहार का संगठन के कार्यों पर कैसा प्रभाव होता है। वस्तुतः संगठन में तीन प्रकार के मानवीय व्यवहार देखे जा सकते है:-

1. अन्तः वैयक्तिक व्यवहार - अन्तः वैयक्तिक व्यवहार कर्मचारियों का स्वंय का व्यवहार होता है जो उनके व्यक्तित्व, प्रवृत्तियों, अवबोध, अभिप्रेरणा, अपेक्षा तथा आन्तरिक भावनाओं के फलस्वरूप प्रकट होता है।

2. अन्तर्वेयक्तिक व्यवहार - दो व्यक्तियों या दो से अधिक व्यक्तियों (समूह) के मध्य होने वाली पारस्परिक क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न व्यवहार को अन्तर्वेयक्तिक व्यवहार कहा जाता है। यह व्यवहार समूह गतिशीलता, अर्न्तसमूह संघर्ष, नेतृत्व, सम्प्रेषण आदि के रूप में प्रकट होते है।

3. संगठन व्यवहार - इसमें संगठन की औपचारिक संरचनाओं तथा अनौपचारिक समूहों के व्यवहार को शामिल किया जाता है। संगठनात्मक व्यवहार में उपर्युक्त तीनों प्रकार के व्यवहार एवं उसके प्रभावों तथा संगठन के आन्तरिक एवं बाह्य वातावरण के प्रभावों का अवलोकन, अध्ययन एवं नियन्त्रण किया जाता है।

निष्कर्ष यह है कि संगठनात्मक व्यवहार संगठनो में एकाकी व्यक्तियों एवं समूहो के व्यवहार, संगठन संरचना, तकनीकों एवं वातावरण की विशेषताओं के आपसी प्रभावों के अध्ययन से सरोकार रखता है। संगठनात्मक व्यवहार संगठन में व्यक्तियों तथा समूहों के व्यवहार तथा उसका संगठन पर प्रभावों का अध्ययन करने तथा इससे प्राप्त जानकारी से उनके भावी व्यवहार का पूर्वानुमान करने तथा नियंत्रण करने से सरोकार रखता है। इस प्रकार संगठनात्मक व्यवहार संगठन में कार्यारत व्यक्तियों, समूहों तथा संगठन के विभिन्न घटकों के व्यवहार तथा उनसे उत्पन्न प्रभावों तथा वातावरण के साथ उनकी अन्तक्रियाओं का अध्ययन है ताकि इस ज्ञान से संगठन को प्रभावी एवं उद्देश्यपरक बनाया जा सके।

शैक्षणिक प्रणालियों और विद्यालयों के भीतर विभिन्न प्रकार के परिवर्तन होना आम बात है। इसके प्रेरक बाह्य या आंतरिक, या इन दोनों के संयोजन हो सकते हैं। परिवर्तन आप पर थोपा जा सकता है या आपके द्वारा शुरू किया जा सकता है। अधिकांश मामलों में अंतिम लक्ष्य वर्तमान अवस्था से भविष्य की किसी अधिक वाँछित अवस्था में जाना होता है। विद्यालय के संदर्भ के भीतर, इसका संबध अंततः छात्रों के शिक्षण में सुधार करने से होता है, चाहे अध्यापन और सीखने की प्रक्रिया में प्रत्यक्ष परिवर्तनों के माध्यम से या सीखने की प्रक्रिया में सहायता के लिए विद्यालय की संरचनाओं और प्रणालियों में सुधार के माध्यम से।

इस इकाई में आप अपने विद्यालय या शैक्षणिक परिवेश में परिवर्तन के अर्थ पर विचार करेंगे और शैक्षणिक परिवर्तन के कुछ प्रेरकों का अध्ययन करेंगे। फिर आप नेतृत्व के विभिन्न दृष्टिकोणों पर नज़र डालेंगे जैसे सहयोगात्मक, वितरित, प्रजातांत्रिक और रूपांतरणात्मक ? नेतृत्व आप इन विभिन्न दृष्टिकोणों और परिवेशों को शैक्षणिक नेतृत्व के साथ जोड़ेंगे।

प्रेरणा और विश्वास को परिवर्तन के महत्वपूर्ण प्रेरक माना जाता है। इसलिए, आप इस विषय पर नज़र डालते हुए कुछ समय व्यतीत करेंगे कि आप परिवर्तन की तैयारी करते समय स्वयं और अन्य लोगों को कितने सर्वोत्तम ढंग से प्रेरित कर सकते हैं। आप नायक के रूप में अपनी भूमिका पर विचार करेंगे और तय करेंगे कि इस इकाई में प्रस्तुत कुछ मुद्दे आपकी वर्तमान प्रैक्टिस में सुधार करने में आपकी मदद कैसे कर सकते हैं।

सीखने की डायरी

इस इकाई में काम करते समय आपसे अपनी सीखने की डायरी में नोट्स बनाने को कहा जाएगा। यह डायरी एक किताब या फोल्डर है जहाँ आप अपने विचारों और योजनाओं को एकत्र करके रखते हैं। संभवतः आपने अपनी डायरी शुरू कर भी ली है।

इस इकाई में आप अकेले काम कर सकते हैं, लेकिन यदि आप अपने सीखने की चर्चा किसी अन्य विद्यालय प्रमुख के साथ कर सकें तो आप और भी अधिक सीखेंगे। यह कोई सहकर्मी हो सकता है जिसके साथ आप पहले से सहयोग करते रहे हैं, या कोई व्यक्ति जिसके साथ आप नए संबध का निर्माण करना चाहते हैं। इसे नियोजित ढंग से या अधिक अनौपचारिक आधार पर किया जा सकता है। आपकी सीखने की डायरी में बनाए गए आपके नोट्स इस प्रकार की बैठकों के लिए उपयोगी होंगे, और साथ ही आपकी दीर्घावधि की शिक्षण-प्रक्रिया और विकास का प्रतिचित्रण भी करेंगे।

 

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2. "दबाव एक मनोवैज्ञानिक संकल्पना है जिसके कारण, जैविक और व्यवहारिक दोनों प्रकार के विकार होते है और यह कई कारकों के कारण होता है।" विभिन्न स्ट्रेसर्स की चर्चा और व्याख्या कीजिए।

3. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए:

() नौकरशाही सिद्धांत

() टीम की प्रभाविता

() गुणारोपण के सिद्धांत 

() मानव का माडल

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4. निम्नलखित के बीच अंतर कीजिए:

() क्लासिकल अनुकूलन और क्रियाप्रसूत अनुकूलन

() औपचारिक और अनौपचारिक कार्य समूह

() शक्ति और प्राधिकार

() संगठनात्मक संस्कृति और संगठनात्मक वातावरण

5. निम्नलिखित कथन पर संक्षेप में टिप्पणी कीजिए:

() प्रतिपुष्टि के आधार पर जॉबों को फिर से डिज़ाइन करना भी जॉब पुन: डिज़ाइन की एक तकनीक है।

() अनौपचारिक चैंनल कार्यस्थल पर सामाजिक शक्तियों के क्रियाकलापों का परिणाम है।

() संगठनात्मक विकास मानव संसाधन विकास के लिए परिवर्तन के प्रबंधन का आधुनिक उपागम हैं। संगठनात्मक प्रभाविता के घटक प्रबंधकीय नीतियाँ और उनका व्यवहारिक रूप, कर्मचारी विशेषताएं, संगठनात्मक विशेषताएं और पर्यावरणीय विशेषताएं हैं

 

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